कांग्रेस के पूर्व सांसद सज्जन कुमार को 1984 के सिख दंगों के मामले में उम्र क़ैद
दिल्ली हाईकोर्ट ने कांग्रेस के पूर्व सांसद सज्जन कुमार को 1984 के सिख दंगों के मामले में दोषी ठहराया है.
34 साल बाद आए इस फ़ैसले में कोर्ट ने सज्जन कुमार को उम्र क़ैद की सज़ा सुनाई है. साथ ही कोर्ट ने सज्जन कुमार पर पाँच लाख रुपये का जुर्माना भी लगाया है.
कोर्ट ने सज्जन कुमार को 31 दिसंबर तक आत्मसमर्पण करने को कहा है.
अप्रैल 2013 में दिल्ली की एक निचली अदालत ने 1984 के सिख विरोधी दंगों के दौरान दिल्ली छावनी में पांच सिखों की हत्या के मामले में सज्जन कुमार को सभी आरोपों से बरी कर दिया था.
इस फ़ैसले के ख़िलाफ़ केंद्रीय जाँच ब्यूरो यानी सीबीआई ने दिल्ली हाईकोर्ट में अपील की थी.
समाचार एजेंसी पीटीआई के मुताबिक जस्टिस एस मुरलीधर और जस्टिस विनोद गोयल ने इस मामले की सुनवाई 29 अक्टूबर को पूरी कर ली थी और फ़ैसला सुरक्षित रख लिया था.
दिल्ली हाईकोर्ट ने फ़ैसले में कहा, "1947 में विभाजन के दौरान नरसंहार हुआ था. 37 साल के बाद दिल्ली ऐसी ही एक घटना की गवाह बनी. अभियुक्तों ने राजनीतिक संरक्षण का फ़ायदा लिया और मुकदमों से भागते रहे."
क्या है सज्जन कुमार पर मामला?
साल 1984 में 31 अक्टूबर को तत्कालीन प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी की उनके सुरक्षाकर्मियों ने हत्या कर दी थी और इसके बाद सिख विरोधी दंगे भड़क गए थे.
यह मामला दिल्ली छावनी क्षेत्र में पांच सिखों की हत्या से जुड़ा था.
दिल्ली कैंट के राजनगर इलाके में पांच सिखों केहर सिंह, गुरप्रीत सिंह, रघुविंदर सिंह, नरेंद्र पाल सिंह और कुलदीप सिंह की हत्या कर दी गई थी.
शिकायतकर्ता और प्रत्यक्षदर्शी जगदीश कौर केहर सिंह की पत्नी और गुरप्रीत सिंह की मां थीं. रघुविंदर, नरेंदर और कुलदीप उनके और मामले के एक अन्य गवाह जगशेर सिंह के भाई थे.
जस्टिस जीटी नानावती आयोग की सिफ़ारिशों पर साल 2005 में सज्जन कुमार और अन्य अभियुक्तों के खिलाफ़ मामला दर्ज किया गया था.
सीबीआई ने अभियुक्तों के ख़िलाफ़ जनवरी 2010 में दो चार्जशीट दायर की थीं.
इससे पहले दिल्ली पुलिस ने दंगों की जांच की थी.
साल 2005 में केस की जांच केंद्रीय जाँच ब्यूरो यानी सीबीआई के हाथ आई और उसने कोर्ट को बताया कि दंगों में सज्जन और पुलिस के बीच ख़तरनाक संबंध था.
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