#ऑनलाइन_शॉपिंग: #विनम्र_निवेदन_कुछ_समय_देकर_जरूर_पढ़ें...
ऑनलाइन शॉपिंग की दुनिया से परे हटकर ये तस्वीर किसी पत्रकार जो समाज का आईना दिखाते उनके माध्यम से आई है !लेकिन इस तस्वीर ने हिला कर रख दिया। मैंने बुजुर्ग की आंखों में आशा उमीद दो पैसे मिलने की देखी की कहीं से मिल जाये मेने उन झुर्रियों को देखा जो उम्र के पड़ाव में आखिरी सांस तक शरीर को सहेजे हुए है मैंने उस कुर्ते नुमा शर्ट को देखा जो ये कह रहा हो मानो की कोई तो इस बोझ को कम कर दो इन सामान को खरीद कर वास्तव में बाबा महाकाल की नगरी में ये दृश्य दिल को छू गया। जहा एक और कम उम्र के नौजवान बड़ी बड़ी कम्पनी बनाकर एमेजॉन ,फ्लिपकार्ट से घर बैठे समान भेजकर करोड़ो अरबो की कमाई कर रहे है वही दो जून की रोटी के लिए इस बुजुर्ग की मशक्कत सोचने पर मजबूर कर रही है। कि क्या अमीरी गरीबी का फासला इतना बढेगा ?। या सोच कर मेहनत को बहोत पीछे छोड़ जाते। पूरे समान को जोड़े तो 100 रुपये से ज्यादा नही होगा पर मजबूरी या यूं कहें कि किस्मत इंसान को कितना परेशान करती है ये सीधा सीधा उदाहरण है। समय के आगे किसी की नही चलती ऐसा कहते है पर मैं अनुरोध विनती करता हूँ। ऐसे लोग जहा दिखे जैसे दिखे जो हो सके कुछ न कुछ खरीद लिया करे क्योंकि आपके खरीदने से उसके घर मे शाम का चूल्हा या उसकी जो मजबूरी रही होगी उसकी पूर्ति हो जाएगी। । क्योंकि जिस पैसो से इनका काम हो जाएगा वो पैसे सायद आपके लिए छोटा -मोटा खर्च हो सकता है।
ऑनलाइन शॉपिंग की दुनिया से परे हटकर ये तस्वीर किसी पत्रकार जो समाज का आईना दिखाते उनके माध्यम से आई है !लेकिन इस तस्वीर ने हिला कर रख दिया। मैंने बुजुर्ग की आंखों में आशा उमीद दो पैसे मिलने की देखी की कहीं से मिल जाये मेने उन झुर्रियों को देखा जो उम्र के पड़ाव में आखिरी सांस तक शरीर को सहेजे हुए है मैंने उस कुर्ते नुमा शर्ट को देखा जो ये कह रहा हो मानो की कोई तो इस बोझ को कम कर दो इन सामान को खरीद कर वास्तव में बाबा महाकाल की नगरी में ये दृश्य दिल को छू गया। जहा एक और कम उम्र के नौजवान बड़ी बड़ी कम्पनी बनाकर एमेजॉन ,फ्लिपकार्ट से घर बैठे समान भेजकर करोड़ो अरबो की कमाई कर रहे है वही दो जून की रोटी के लिए इस बुजुर्ग की मशक्कत सोचने पर मजबूर कर रही है। कि क्या अमीरी गरीबी का फासला इतना बढेगा ?। या सोच कर मेहनत को बहोत पीछे छोड़ जाते। पूरे समान को जोड़े तो 100 रुपये से ज्यादा नही होगा पर मजबूरी या यूं कहें कि किस्मत इंसान को कितना परेशान करती है ये सीधा सीधा उदाहरण है। समय के आगे किसी की नही चलती ऐसा कहते है पर मैं अनुरोध विनती करता हूँ। ऐसे लोग जहा दिखे जैसे दिखे जो हो सके कुछ न कुछ खरीद लिया करे क्योंकि आपके खरीदने से उसके घर मे शाम का चूल्हा या उसकी जो मजबूरी रही होगी उसकी पूर्ति हो जाएगी। । क्योंकि जिस पैसो से इनका काम हो जाएगा वो पैसे सायद आपके लिए छोटा -मोटा खर्च हो सकता है।
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